Maharana _Pratap Statue

357 reviews

RR6M+QC2, Sector 17, Pratap Nagar, Jaipur, Rajasthan 303906, India

About

Maharana _Pratap Statue is a Museum located at RR6M+QC2, Sector 17, Pratap Nagar, Jaipur, Rajasthan 303906, India. It has received 357 reviews with an average rating of 4.6 stars.

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F.A.Q

Frequently Asked Questions

  • The address of Maharana _Pratap Statue: RR6M+QC2, Sector 17, Pratap Nagar, Jaipur, Rajasthan 303906, India

  • Maharana _Pratap Statue has 4.6 stars from 357 reviews

  • Museum

  • "भारत के महान योद्धा महाराणा प्रताप ऐसे शूरवीर थे, जिन्हें दुश्मन भी सलाम करते थे। वह मेवाड़ में सिसौदिया राजपूत राजवंश के राजा थे। इतिहास में उनका नाम वीरता और साहस के लिए सदा के लिए अमर है। वह अपनी वीरता और युद्ध कला के लिए जाने जाते हैं। उन्होंने आखिरी सांस तक मेवाड़ की रक्षा की। उनका पूरा नाम महाराणा प्रताप सिंह सिसौदिया था। उनका जन्म मेवाड़ में हुआ। बचपन में उन्हें कीका नाम से पुकारा जाता था। महाराणा प्रताप को भारत का प्रथम स्वतंत्रता सेनानी भी कहा जाता है। उनका कद 7 फीट 5 इंच था। उनके भाले का वजन 80 किलो था। उनकी दो तलवारें जिनका वजन 208 किलोग्राम और उनका कवच 72 किलोग्राम का था। युद्ध के समय महाराणा प्रताप दो तलवार रखते थे। यदि उनके दुश्मन के पास तलवार नहीं होती थी तो वह उसे अपनी एक तलवार देते थे जिससे युद्ध बराबरी का हो। हल्दीघाटी युद्ध में मेवाड़ की सेना का नेतृत्व महाराणा प्रताप ने किया। हकीम खां सूरी, हल्दी घाटी युद्ध में महाराणा प्रताप की तरफ से लड़ने वाले एकमात्र मुस्लिम सरदार थे। इस युद्ध को 80 हजार की मुगल सेना के खिलाफ मात्र 22 हजार की सेना के साथ महाराणा प्रताप ने बहुत बहादुरी से लड़ा। इस युद्ध में न अकबर की जीत हुई और न ही महाराणा प्रताप की। हल्दी घाटी युद्ध के 300 साल बाद भी उस जगह से तलवारें पाई गईं। महाराणा प्रताप 20 वर्ष तक मेवाड़ के जंगल में घूमते रहे। मायरा की गुफा में उन्होंने कई दिनों तक घास की रोटियां खाकर वक्त गुजारा। कहा जाता है कि उनकी मृत्यु पर अकबर भी रो पड़ा था। मरने से पहले महाराणा प्रताप ने अपना खोया हुआ 85 प्रतिशत मेवाड़ फिर से जीत लिया था। उनका घोड़ा चेतक वफादारी के लिए जाना जाता है। महाराणा प्रताप के पास चेतक के साथ प्रिय हाथी रामप्रसाद भी था। महाराणा प्रताप ने जब महलों का त्याग किया तब उनके साथ लोहार जाति के हजारों लोगों ने भी घर छोड़ा और दिन-रात उनकी फौज के लिए तलवारें बनाईं।"

    "Historical Hero ever green Great great Shri maharana Pratap Singh Ji dedicated This circle But i am very angry coz some unqualified people calls Ghoda circle it's dishounr our great great warrior Maharana Pratap Singh Ji Maharana Pratap circle Haldi ghati Marg Pratap nagar me hai jiski पूर्व दिशा जगतपुरा की तरफ जाती है पश्चिम की दिशा हल्दी घाटी गेट टोंक रोड पर जाती है। दक्षिण दिशा एनआरआई सर्किल पर जाती है इसकी उतर दिशा एयरपोर्ट रोड जो की सांगानेर एयरपोर्ट सर्किल से 7 नंबर चौराहा महल रोड पे जाती है उसपे आकार के मिलती है जय श्री श्याम
    इंतज़ार का समय
    इंतज़ार नहीं करना पड़ता
    ऐडवांस बुकिंग कर लें
    नहीं"

    "Pratap Singh I, popularly known as Maharana Pratap, was a Hindu Rajput king of Mewar"

    "If you want to use "Me Time" then I would suggest this place with some street food like Pettis and eggroll both are very good compared to any other"

    "Maharana Pratap, was a Hindu Rajput king of Mewar"

Reviews

  • Jai Prakash Sharma

भारत के महान योद्धा महाराणा प्रताप ऐसे शूरवीर थे, जिन्हें दुश्मन भी सलाम करते थे। वह मेवाड़ में सिसौदिया राजपूत राजवंश के राजा थे। इतिहास में उनका नाम वीरता और साहस के लिए सदा के लिए अमर है। वह अपनी वीरता और युद्ध कला के लिए जाने जाते हैं। उन्होंने आखिरी सांस तक मेवाड़ की रक्षा की। उनका पूरा नाम महाराणा प्रताप सिंह सिसौदिया था। उनका जन्म मेवाड़ में हुआ। बचपन में उन्हें कीका नाम से पुकारा जाता था। महाराणा प्रताप को भारत का प्रथम स्वतंत्रता सेनानी भी कहा जाता है। उनका कद 7 फीट 5 इंच था। उनके भाले का वजन 80 किलो था। उनकी दो तलवारें जिनका वजन 208 किलोग्राम और उनका कवच 72 किलोग्राम का था। युद्ध के समय महाराणा प्रताप दो तलवार रखते थे। यदि उनके दुश्मन के पास तलवार नहीं होती थी तो वह उसे अपनी एक तलवार देते थे जिससे युद्ध बराबरी का हो। हल्दीघाटी युद्ध में मेवाड़ की सेना का नेतृत्व महाराणा प्रताप ने किया। हकीम खां सूरी, हल्दी घाटी युद्ध में महाराणा प्रताप की तरफ से लड़ने वाले एकमात्र मुस्लिम सरदार थे। इस युद्ध को 80 हजार की मुगल सेना के खिलाफ मात्र 22 हजार की सेना के साथ महाराणा प्रताप ने बहुत बहादुरी से लड़ा। इस युद्ध में न अकबर की जीत हुई और न ही महाराणा प्रताप की। हल्दी घाटी युद्ध के 300 साल बाद भी उस जगह से तलवारें पाई गईं। महाराणा प्रताप 20 वर्ष तक मेवाड़ के जंगल में घूमते रहे। मायरा की गुफा में उन्होंने कई दिनों तक घास की रोटियां खाकर वक्त गुजारा। कहा जाता है कि उनकी मृत्यु पर अकबर भी रो पड़ा था। मरने से पहले महाराणा प्रताप ने अपना खोया हुआ 85 प्रतिशत मेवाड़ फिर से जीत लिया था। उनका घोड़ा चेतक वफादारी के लिए जाना जाता है। महाराणा प्रताप के पास चेतक के साथ प्रिय हाथी रामप्रसाद भी था। महाराणा प्रताप ने जब महलों का त्याग किया तब उनके साथ लोहार जाति के हजारों लोगों ने भी घर छोड़ा और दिन-रात उनकी फौज के लिए तलवारें बनाईं।

  • Avinash Mishra

Historical Hero ever green Great great Shri maharana Pratap Singh Ji dedicated This circle But i am very angry coz some unqualified people calls Ghoda circle it's dishounr our great great warrior Maharana Pratap Singh Ji Maharana Pratap circle Haldi ghati Marg Pratap nagar me hai jiski पूर्व दिशा जगतपुरा की तरफ जाती है पश्चिम की दिशा हल्दी घाटी गेट टोंक रोड पर जाती है। दक्षिण दिशा एनआरआई सर्किल पर जाती है इसकी उतर दिशा एयरपोर्ट रोड जो की सांगानेर एयरपोर्ट सर्किल से 7 नंबर चौराहा महल रोड पे जाती है उसपे आकार के मिलती है जय श्री श्याम
इंतज़ार का समय
इंतज़ार नहीं करना पड़ता
ऐडवांस बुकिंग कर लें
नहीं

  • nitin upadhyay

Pratap Singh I, popularly known as Maharana Pratap, was a Hindu Rajput king of Mewar. He was titled as "Mewari Rana" and was notable for his military resistance against the expansionism of the Mughal Empire and is known for his participation in the Battle of Haldighati 1576 CE and the Battle of Dewair 1582 CE.

  • AKASH Rathod Aapsi Baat

If you want to use "Me Time" then I would suggest this place with some street food like Pettis and eggroll both are very good compared to any other.
किस दिन गए थे
कामकाजी दिन (वीकडे)
इंतज़ार का समय
इंतज़ार नहीं करना पड़ता
ऐडवांस बुकिंग कर लें
नहीं

  • Er.Rakesh kumar Bairwa

Maharana Pratap, was a Hindu Rajput king of Mewar.[5] He was titled as "Mewari Rana" and was notable for his military resistance against the expansionism of the Mughal Empire and is known for his participation in the Battle of Haldighati and the Battle of Dewair.

  • manoj gupta

यह स्टैचू जयपुर के प्रताप नगर मैं महाराणा प्रताप सर्किल पर लगा हुआ है हल्दीघाटी मार्ग से जगतपुरा की तरफ जाते वक्त से देख सकते हैं।
किस दिन गए थे
कामकाजी दिन (वीकडे)
इंतज़ार का समय
इंतज़ार नहीं करना पड़ता
ऐडवांस बुकिंग कर लें
नहीं

  • Yogesh Sharma

It is one of the stature build on junction of Haldighati road and Tonk Road, Jaipur to provide tribute to Maharana Pratap.
किस दिन गए थे
कामकाजी दिन (वीकडे)
इंतज़ार का समय
इंतज़ार नहीं करना पड़ता
ऐडवांस बुकिंग कर लें
नहीं

  • Neha singhal

It's located on Haldighati Marg. There are many seats near this statue that are always unoccupied. So you go anytime to visit this statue. There is a food stall near this statue, also you find nice restaurant near this statue like NRI Club,

  • Prabhakar Sharma

It's historical and heroic statue It's symbol of bravery and heroism of maharana pratap It's proud of our nation
किस दिन गए थे
कामकाजी दिन (वीकडे)
इंतज़ार का समय
इंतज़ार नहीं करना पड़ता
ऐडवांस बुकिंग कर लें
नहीं

  • Rishabhs Shahi

Here you get a environment related to get in the pages of history. Best timepass place for weekends
किस दिन गए थे
हफ़्ते के आखिर में (वीकेंड)
इंतज़ार का समय
इंतज़ार नहीं करना पड़ता
ऐडवांस बुकिंग कर लें
नहीं

  • Kapil Mandawat

This cricle is most of Pratap nagar location this cricle is best palace morning walk
किस दिन गए थे
सार्वजनिक छुट्टी के दिन
इंतज़ार का समय
इंतज़ार नहीं करना पड़ता
ऐडवांस बुकिंग कर लें
नहीं

  • Sudarshan Jadwal

One of the best circles having Glory of Maharana pratap with 51 feet flag
किस दिन गए थे
कामकाजी दिन (वीकडे)
इंतज़ार का समय
इंतज़ार नहीं करना पड़ता
ऐडवांस बुकिंग कर लें
पता नहीं

  • RADHAKRISHAN NAGAR

Nice place and good environment ,good reachable place then to provide good statue of Maharana pratap then this circle is call Ed maharan pratap circle .

  • Harsh Sharma

This statue helps in directions.
किस दिन गए थे
कामकाजी दिन (वीकडे)
इंतज़ार का समय
इंतज़ार नहीं करना पड़ता
ऐडवांस बुकिंग कर लें
हां

  • Manisha Jangid

Manisha jangid Jaipur
किस दिन गए थे
सार्वजनिक छुट्टी के दिन
इंतज़ार का समय
एक घंटे से ज़्यादा
ऐडवांस बुकिंग कर लें
हां

  • Ganesh Tanpure

This place is in pratap nagar. This chowk with the statue of Maharana Pratap is also referred as Pratap circle or chetak circle.

  • Susmita Creations

Veersheromina maharana pratap Circle ⭕
इंतज़ार का समय
एक घंटे से ज़्यादा
ऐडवांस बुकिंग कर लें
नहीं

  • मुन्नालालसिगरवाल सिगरवाल साहब जी

हमलोग रोज सुबह सात बजे जाते है
इंतज़ार का समय
इंतज़ार नहीं करना पड़ता
ऐडवांस बुकिंग कर लें
पता नहीं

  • RAMKRISHAN MEENA

Bahut achha h
किस दिन गए थे
कामकाजी दिन (वीकडे)
इंतज़ार का समय
इंतज़ार नहीं करना पड़ता

  • PRASHANT AGARWAL

It is one of the stature build on Haldighati road to provide tribute to Maharana Pratap.

  • shekhawat uday

प्रातः स्मरणीय महाराणा प्रताप कोदेखकर मेरा स्वाभिमान और। बढ़ जाता है …

  • PRAKASH CHAND JANGID

Maharan pratap circle is very beautiful Many people comes on wallking in the morning.

  • Gunjann Agarwal

This is a circle used as land mark and It's near SBI Bank branch and ATM as well.

  • Mr. Rajawat

I love old place
किस दिन गए थे
सार्वजनिक छुट्टी के दिन

  • Raj Rathore

Feels proud whenever see Maharana Partap statue... …

  • jayesh rawal

So peaceful and calm place to visit early morning. Loved it

  • Divyamohan Gupta

Circle and sitting place at Haldighati road

  • Bimal Kumar Samantaray

Nice place to see the view of Ajmer City.

  • smart study with S.P. sir

This circle is neat and clean.

  • Maneesh Singh Jadaun

Jai maharana pratap

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